मैं इस घर में पिछले कई वर्षों से काम कर रही हूँ। मेरी उम्र 50 के पार है, और इस घर से मेरा रिश्ता अब केवल नौकरी तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि मैं इस परिवार का एक हिस्सा बन गई हूँ। मेरे जीवन का अधिकांश समय इस घर की सेवा में बीता है। आइए, आज मैं आपको अपने जीवन की कहानी सुनाती हूँ।
जब मैं बहुत छोटी थी, तब मेरी माँ का निधन हो गया। इसके बाद हमारे घर की हालत बदल गई। पिताजी शराब के आदी हो गए, और मुझे बचपन में ही घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। शिक्षा पाने का मौका तो दूर रहा, दो वक्त के खाने के लिए भी मुझे घर-घर जाकर काम करना पड़ा। मेरा बचपन काम के बोझ मैं दबकर कहीं खो गया।
जब मैं इस घर में आई, तो बहुत डरी हुई थी। मालिक और मालकिन के प्यार भरे व्यवहार और बच्चों की मासूम हँसी ने धीरे-धीरे मेरे जीवन को सहारा दिया। काम करते समय कई मुश्किलें आईं, लेकिन इस घर के लोगों ने मुझे हमेशा समर्थन दिया।
एक बार घर के दूसरे नौकर ने चोरी की, और मुझ पर शक किया गया। उस समय मालिक का मुझ पर से विश्वास उठ गया था। मुझे घर से निकाल दिया गया। लेकिन मालकिन को मुझ पर पूरा विश्वास था। उन्होंने असली चोर को पकड़वाया और मुझे घर वापस बुलाया। उसी दिन मैंने तय किया कि यह घर केवल काम करने की जगह नहीं है, बल्कि मेरा दूसरा परिवार है।
इस घर में मैंने बच्चों को पाला, उनकी स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई देखी। मैंने हर प्रकार का काम किया, चाहे वह रसोई में हो या सफाई में। अब मेरा शरीर थक चुका है, लेकिन मेरा मन अभी भी इस घर की सेवा करने का सपना देखता है।
जब बड़े मालिक का एक दुर्घटना में निधन हुआ, तो उनके बच्चों ने मुझे सहारा दिया। उनकी मदद से मेरे बच्चों को शिक्षा का मौका मिला। इस घर के बच्चों ने मुझे अपनी दादी जैसा सम्मान दिया, और उनका प्यार देखकर मेरे सारे दुख पल भर में दूर हो गए।
आज अपने जीवन की संध्या में मैं संतुष्ट हूँ। इस घर की सेवा करते हुए मेरे दिन पूरे हों, यही मेरी इच्छा है। यह नौकरी सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि मेरे जीवन की पहचान है।
मेरे जीवन में दुःख तो बहुत आए, लेकिन इस घर के प्यार और अपनापन ने मुझे जीने की प्रेरणा दी। इसलिए अपने आखिरी सांस तक मैं इस घर की सेवा करती रहूँगी। यही मेरे जीवन का उद्देश्य है।