रोज रात में मैं अपने घर की छत पर जाता हूं और चंद्रमा की हल्की चांदनी के नीचे बैठकर विचार करना मेरा रोज का नियम बन गया है। कल भी मैं छत पर गया था। ऐसा लग रहा था जैसे चंद्रमा बिल्कुल सिर के ऊपर आ गया हो। चंद्रमा की ठंडक को महसूस करते हुए मैं झूले पर बैठा था। अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे पुकारा हो। आसपास देखा, तो कोई नहीं था। तभी फिर से आवाज आई। मेरी नजर चंद्रमा पर गई। हैरानी की बात यह थी कि खुद चंद्रमा मुझसे बात कर रहा था।
वह मुस्कुराकर बोला,
“अरे बच्चे, मैं चंद्रमा बोल रहा हूं। रोज़ तुम्हें मेरी चांदनी में विचार करते देखता हूं। आज लगा, तुमसे बात करूं और कुछ जरूरी बातें बताऊं। मैं वही चंद्रमा हूं, जिसे धरती पर कई लोग प्यार से निहारते हैं। रात के अंधेरे में मैं ही उन्हें रोशनी देता हूं। मेरी चांदनी से सारी सृष्टि को एक शांति और ठंडक मिलती है।
सभी जीवों के लिए मैं कितना महत्वपूर्ण हूं, ये तुम्हें बताना चाहता हूं। मेरी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण धरती के समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। इस प्रक्रिया का धरती के मौसम पर भी प्रभाव पड़ता है। अगर मैं न होता, तो धरती पर कई चीजें प्रभावित होतीं। मेरी रोशनी की वजह से रात के अंधेरे में कई जीव अपना रास्ता खोज पाते हैं।
देखो, मेरे पास खुद का कोई प्रकाश नहीं है। मैं तो सूर्य की रोशनी को प्रतिबिंबित करता हूं। फिर भी मेरी ठंडी चांदनी में लोगों को सुकून, शांति और संतोष मिलता है। धरती के प्रेमी मेरे साक्षी में अपने जज़्बातों को व्यक्त करते हैं। कविताओं, गानों और कहानियों में मेरे बिना प्रेम की अभिव्यक्ति अधूरी मानी जाती है।
मेरे बिना सृष्टि की कई चीजें अधूरी लगतीं। रात का समय पूरी तरह अंधेरे में डूबा रहता। मेरी रोशनी से किसानों को उनकी फसल देखने में मदद मिलती है, राहगीरों को रास्ता दिखता है और जंगल के जानवर शांतिपूर्वक घूम पाते हैं।
मेरा रंग, मेरी ठंडक और मेरी चांदनी लोगों को मानसिक शांति देती है। लेकिन मेरे बारे में अधिक जानने की कोशिश में इंसानों ने मुझ पर चंद्रयान भेजा। उनका यह प्रयास सराहनीय है, लेकिन कभी-कभी उनके प्रयोग मेरी शांति भंग कर देते हैं।
अरे बच्चे, मैं यह कहना चाहता हूं कि सृष्टि की हर चीज महत्वपूर्ण है। मेरी रोशनी का सही उपयोग करके धरती पर जीवन को और खूबसूरत बनाया जा सकता है। लेकिन अगर इंसान ने प्रदूषण बढ़ाया और अनियमित व्यवहार दिखाया, तो इस सृष्टि को नुकसान होगा। मैं अपनी रोशनी से तुम्हें शांति और सुकून देता रहूंगा, लेकिन तुम्हें भी इस सृष्टि का ख्याल रखना होगा। अब मुझे विदा लेनी होगी। लेकिन याद रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। बस ऊपर देखना, मैं आकाश में ही हूं।”
उसकी बातों ने मेरे मन को छू लिया। चंद्रमा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। उसकी शांत चांदनी में मैंने उसका शुक्रिया अदा किया और तय किया कि उसकी सीख के अनुसार प्रकृति की रक्षा करूंगा।