बाबा की तबीयत खराब होने के कारण मैं उन्हें अस्पताल लेकर गया। जब बाबा की बारी आई, तो डॉक्टर ने उन्हें जांच के लिए अंदर बुलाया और मुझे बाहर बैठने के लिए कहा। मैं बाहर रखी कुर्सी पर बैठ गया और सामने दीवार पर लगी घड़ी को देखने लगा। वह घड़ी बड़ी शांति से टिक-टिक कर रही थी। लेकिन मुझे लगा कि उसकी टिक-टिक का स्वर कुछ अलग है। थोड़ी देर बाद एहसास हुआ कि वह घड़ी मुझसे बात कर रही है!
“अरे दोस्त,” घड़ी बोली, “आज मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी की कहानी सुनाती हूं। सुनो, अगर तुम्हारे पास वक्त हो, तो मेरे लिए बस दो पल सोच लेना, बस इतना ही काफी है।”
“मेरी जन्म के दिन बड़े ही खूबसूरत थे। एक घड़ी बनाने वाले कारखाने में मेरा जन्म हुआ। मुझे बड़े मेहनत से बनाया गया। मेरे कांटों में समय दिखाने की ताकत भरी गई, और फिर मुझे इस अस्पताल में लाया गया। जिस दिन मुझे इस दीवार पर लगाया गया, हर कोई मेरी तारीफ कर रहा था। मेरी मदद से लोग समय देखते और उनका काम आसान हो जाता। मेरी टिक-टिक की आवाज़ से सारा माहौल शांत लगता, और मुझे अपने उपयोगी होने पर गर्व होता।”
“अस्पताल में मेरे पास समय देखने के लिए लोग आते। डॉक्टर, नर्स, मरीज, और उनके रिश्तेदार, सभी मेरी ओर देखकर अपना समय तय करते। सुबह दवाइयों का समय, चेकअप, मुलाकातें… सब कुछ मेरी समय-सूचना के अनुसार चलता। लोग मुझे बहुत महत्व देते थे। मुझे लगता था कि मैं इस अस्पताल का एक अनिवार्य हिस्सा हूं।”
“लेकिन धीरे-धीरे मेरा महत्व कम होता गया। लोगों ने अपने मोबाइल फोन में समय देखना शुरू कर दिया। मेरी टिक-टिक की आवाज़ अब किसी को सुनाई नहीं देती। अस्पताल की भीड़ में कोई मेरी ओर ध्यान नहीं देता। अब लोग सिर्फ मेरी ओर एक नज़र डालते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। मैं वहीं टंगी रहती हूं, लेकिन समय का पालन न करने वाले लोग अक्सर देरी से आते हैं। यह देखकर मुझे बहुत दुख होता है।”
“अब कोई मेरी तरफ ध्यान नहीं देता। मेरी कांच पर धूल जम गई है। मेरे कांटे धीरे-धीरे थक गए हैं। कभी-कभी मेरी समय-सूचना गलत हो जाती है, लेकिन उसे ठीक करने कोई नहीं आता। लोग अब केवल आधुनिक उपकरणों पर निर्भर हो गए हैं।”
“लेकिन, दोस्त, समय अनमोल होता है। यह बात मैं हमेशा सिखाने की कोशिश करती हूं। आज मुझे कोई भूल जाए, तो चलेगा, लेकिन समय की कीमत भूलना सही नहीं है। मेरा काम है समय दिखाना, और मैं अंत तक यह करती रहूंगी। मेरी टिक-टिक की आवाज़ से समय का महत्व समझो और अपनी ज़िंदगी को सुंदर बनाओ।”
घड़ी की इस आत्मकथा ने मुझे भीतर तक सोचने पर मजबूर कर दिया। सच में, हमें समय के महत्व को समझना चाहिए, क्योंकि समय एक बार चला जाए, तो कभी लौटकर नहीं आता।