रविवार का दिन था और स्कूल की छुट्टी थी। मैं हमेशा की तरह घर के पास बने छोटे से बगीचे में खेलने गया। बगीचे के कोने में एक पुरानी बेंच पर बैठा एक लड़का मेरी नजरों में आया। उसकी झुकी नजरें और उदास चेहरा साफ बता रहे थे कि वह किसी गहरी चिंता में है। मैं उसके पास जाकर धीरे से बोला, “क्या बात है? तुम इतने उदास क्यों हो?”
पहले तो उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मेरी ओर देखा और धीरे-धीरे बोलने लगा, “मैं अनाथ हूं। इस दुनिया में मेरा कोई अपना नहीं है। धरती मेरी मां है, आसमान मेरा पिता। इन दोनों के साए में मैं अपना जीवन बिता रहा हूं। अगर तुम सुनना चाहो, तो मैं अपनी कहानी बता सकता हूं।”
उसने अपनी कहानी सुनाना शुरू किया, और मैं ध्यान से सुनने लगा।
“करीब 14-15 साल पहले मैं इसी शहर की एक झुग्गी में पैदा हुआ था। मुझे अपने माता-पिता का कभी चेहरा भी देखने को नहीं मिला। बचपन में ही किसी ने मुझे अनाथालय में छोड़ दिया। वहीं मैंने बोलना, चलना, और पढ़ना-लिखना सीखा। वह अनाथालय ही मेरा पहला और एकमात्र घर था। मेरे बचपन के शुरुआती 10 साल वहीं बीते, लेकिन वे दिन आसान नहीं थे।”
“जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मुझे अनाथालय की चार दीवारों के बीच घुटन महसूस होने लगी। जब भी लोग दान देने आते थे, उनकी सहानुभूति भरी नजरें मुझे चुभती थीं। कभी-कभी हमें उनके सामने गाना गाना पड़ता या कोई कला दिखानी पड़ती, ताकि वे कुछ पैसे या खाना दें। मुझे लगता था कि ऐसी जिंदगी से मर जाना ज्यादा आसान है।”
“एक रात मैंने अनाथालय छोड़ने का फैसला किया। मैं उन चार दीवारों से भाग निकला, लेकिन बाहर की दुनिया भी कोई बेहतर नहीं थी। मैंने काम की तलाश में बहुत भटकाव किया। भूख से बेहाल होकर, मैंने एक पंडितजी से मदद मांगी। उन्होंने मुझे एक व्यापारी के पास काम दिलवा दिया। मेरा काम उनके बेटे को स्कूल ले जाना और वापस लाना था।”
“सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक दिन वह बच्चा सड़क दुर्घटना में घायल हो गया। चोट मामूली थी, पर उन्होंने मुझे काम से निकाल दिया। इसके बाद मुझे एक चाय की दुकान पर काम मिला। वहां, मुझ पर 100 रुपये की चोरी का झूठा आरोप लगाया गया। मैंने बहुत समझाया, पर किसी ने मेरी एक न सुनी। उन्होंने मुझे पीटा और बाहर कर दिया।”
“इस तरह हर जगह मेरा अपमान हुआ। किसी भी काम में स्थायित्व नहीं था। मेरा पेट तो जैसे-तैसे भर जाता, पर मन हमेशा खाली रहता। आज सुबह ही, शरबत की दुकान पर काम करते हुए गलती से एक गिलास टूट गया। मालिक ने मुझे गालियां दीं और मारपीट कर बाहर निकाल दिया। भूखा और अपमानित होकर मैं यहां बगीचे में आकर बैठ गया।”
“मित्र, मेरा जीवन इतना कठिन है कि कई बार लगता है, इस दुनिया में अनाथों का कोई ठिकाना नहीं है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो? मुझे बस एक छोटा सा काम चाहिए, जिससे मैं अपना जीवन संभाल सकूं।”
उसकी कहानी सुनकर मेरा मन विचलित हो गया। मुझे लगा कि उसकी मदद करना मेरी जिम्मेदारी है। मैंने उसी पल ठान लिया कि अपनी पूरी क्षमता से इस लड़के को एक नई जिंदगी देने की कोशिश करूंगा।